अब नहीं कटेंगे अवैध सेब बागीचे :
शिमला — मांग संख्या-16 वन व वन्य जीवन पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव का जवाब देते हुए मंगलवार को वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने बताया कि प्रदेश में अवैध सेब के बागीचों का कटान नहीं होगा, बल्कि पेड़ों की प्रूनिंग होगी। ऐसे अवैध बागीचों को फैंसिंग के जरिए सुरक्षा दी जाएगी व उन पर विभाग का अधिकार होगा। सरकार इस मामले में हाईकोर्ट गई थी, जिसके बाद ये आदेश आए हैं। उन्होंने कहा कि तीन वर्षों के दौरान लैंटाना हटाने के लिए 21 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। ऐसे साफ किए गए क्षेत्रों में वहां की आबोहवा के मुताबिक 60 फीसदी चारायुक्त वृक्ष व 40 फीसदी फलाहारी वृक्ष लगाए गए हैं। इसी वजह से प्रदेश में पौधारोपण की संख्या भी बढ़ी है। विपक्षी सदस्यों द्वारा लाया गया यह कटौती प्रस्ताव सदन में ध्वनिमत से गिर गया। वनमंत्री ने बताया कि हिमाचल में 20 मार्च तक एक लाख आठ हजार बंदरों की नसबंदी की गई। वन विभाग ने वानरों को जंगलों तक सीमित रखने के लिए जो वन वाटिका प्रोजेक्ट तैयार किया था, उसे सीजेडए ने अनुमति नहीं दी है। सीजेडए ने कहा है कि इसे खुले में बनाया जाए। वन मंत्री ने बताया कि वर्ष 2015-16 में वानरों की स्टरलाइजेशन के दौरान ट्रांसपोर्टेंशन पर एक करोड़ 13 लाख खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रदेश में अवैध कटान के चार बड़े मामलों को छोड़कर कोई बड़े मामले सामने नहीं आए हैं। उन्होंने विपक्षी विधायकों द्वारा लगाए गए इन आरोपों को भी नकारा कि नर्सरियों से पौधे बेचे जा रहे हैं। वन मंत्री ने कहा कि स्कूली बच्चों के मार्फ्त लाखों पौधों का वन महोत्सवों के दौरान पौधारोपण किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पहले 512 नर्सरियां थी, अब इनकी संख्या 712 है। इन नर्सरियों में दो करोड़ 33 लाख पौधे लगाए गए। उन्होंने कहा कि नर्सरियों पर पहले तीन साल के लिए पौधे तैयार किए जाते थे, मगर अब पैट्रन बदला गया है। यह अवधि अब पांच साल की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी सदस्य ऐसी पंचायतों के मामले उनके ध्यान में लाएं, जहां पेमेंट कर दी गई, लेकिन वहां काम मिड हिमालय प्रोजेक्ट के तहत नहीं हुआ।